द्वार पर बैठे ‘बाबा सुखीराम‘ ने अपने नाती-पोतों को आवाज़ मारते हुए कहा – सांझ हो गया जी, तुमलोग लालटेन नहीं बारे ? चलो सबलोग लालटेन लेकर आओ पढ़ाई करो ! प्रतिदिन शाम के 7 बजते ही ‘बाबा सुखीराम’ यूँ आवाजें मारकर बच्चों को पढ़ने के लिए बुलाते। सुखीराम अपने ज़माने के बड़े पढ़े
नर्स ने बाहर आकर जैसे ही यह खबर सुनाई राजन सहम गया, अनायास ही मुख से निकल पड़ा, हे ईश्वर ! क्यों भेजा इस मासूम को इस दानवी समाज में अपने पास ही सुरक्षित रखते हरि, अपनी बिटिया को। यह सिर्फ एक घर की बात नहीँ, आज हर एक लड़की के माता-पिता दहशत में
आज के समय में Smartphone हर किसी के हाथ की शोभा बना हुआ है। स्मार्टफोन आज के समय में हर किसी के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है। आज फोन सिर्फ बात करने का एक जरिया नहीं रह गया है अपितु Entertainment के अलावा अन्य जरूरी कार्यों के लिए भी लोग स्मार्टफोन पर
सारंगी या ‘षडंगी’ ? मित्रों आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूँ कि प्रताप चंद्र सारंगी नहीं बल्कि षडंगी है अर्थात प्रताप चंद्र षडंगी है। यूँ तो हम सभी जानते हैं कि अंग्रेजी कोई वैज्ञानिक भाषा नहीं है। अंग्रेजी एक विकलांग भाषा है इसमें ष , श , स जैसे शब्दों को लिखने का
ओडिशा भारत का एक ऐसा राज्य है जो पर्यटन की दृष्टि काफी लोकप्रिय है। ओडिशा राज्य भारत के पूर्वी तट पर स्थित है। अगर क्षेत्रफल की बात करें तो ओडिशा भारत का नौंवा सबसे बड़ा राज्य है और वहीं अगर जनसंख्या की बात करें तो ओडिशा भारत का ग्यारहवां सबसे बड़ा राज्य है। जलवायु:
कविता शीर्षक – राह किनारे चलता हूँ शाम को थके हारे, पीठ पर ऑफिस का बस्ता लादे मैं अपने कदम बढ़ता हूँ, राह किनारे चलता हूँ । शिथिल शरीर, व्याकुल नयन धैर्य रहित, अधीर मनमैं स्वयं से बातें करता हूँराह किनारे चलता हूँ ।। चलते-चलते कुछ दूर तलक, एक मोड़ नज़र आता हैसहसा मेरे
नशा जहर है, मौत है। जी हाँ, नशा मनुष्य को मार देता है, आज स्वयम् की, कल परिवार की, परसों रिश्तों की फिर समाज की और उसके अगले दिन राष्ट्र की मौत। आज हम शराब के नशे से होने वाले नुक्सान और फायदे पर चर्चा कर रहे हैं; नशा सुनिश्चित मौत है। कुछ पल
शिवा जब मरने की बात करती तो शिव को अच्छा नही लगता था। मन होता उसके बोलते हुए अधरों पर हाथ रख दे ताकि शब्द वहीँ मौन हो जाएँ और वो अपनी बात पूरी ही न कर सके, पर वो मजबूर था क्योंकि बातचीत का माध्यम तो सन्देशों का आवागमन था। मिले तो सिर्फ
“माँ” जितना छोटा है यह शब्द उतना ही बड़ा है इसका अर्थ, समेटे है अपने अंदर सारे ब्राह्मण को इस सारी सृष्टि को, सुनने में इसकी आवृति जितनी छोटी है , उतनी ही बड़ी है इसकी महत्ता इसकी सार्थकता। एक अद्भुत कृति है ईश्वर की, आनंद और ममता से परिपूर्ण, निश्छल भावों को हृदय
आज पहली बार मिले थे शिव और शिवा, ख़ुशी अपने चरम पर थी…राधा कृष्ण जी के दर्शन करने के बाद दोनों वहीं एक पेड़ के नीचे बैठ गए..। आप कुछ बताने वाली थीं…शिव ने शिवा का हाथ अपने हाथ में लेते हुए बड़े प्यार पूछा ! जी क्या बताएँ, कुछ भी नहीँ बस; शिवा